
यह जितना आपत्तिजनक है उतना ही निराशाजनक भी कि कांग्रेस और केंद्र सरकार बाबा रामदेव के बाद अब अन्ना हजारे पर भी निशाना साधने में जुट गई है। पहले कांग्रेस के प्रवक्ताओं और फिर केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने जिस तरह अन्ना हजारे के रवैये के बहाने उनकी मांगों को खारिज किया उससे इस आशंका की पुष्टि हो रही है कि सरकार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे से देश का ध्यान हटाने के लिए कोई नई चाल चली है। यह एक तरह का कुचक्र है। अन्ना हजारे को इस कुचक्र में फंसने से बचना चाहिए।
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