Thursday, June 30, 2011
Torch Rally Slideshow
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Tuesday, June 14, 2011
कहो गर्व से हम हिन्दू है हिन्दुस्थान हमारा है .
वीर शिव प्रताप का गूज उठा नारा है कहो गर्व से हम हिन्दू है हिन्दुस्थान हमारा है .
राम गंगा और कृष्ण का जो विरोद्थी जो हमसे टकराएगा वो कुत्ते की मौत यहाँ पर मारा जायेगा
अरे दुश्मनों को माँ दुर्गा के बेटो ने ललकारा है कहो गर्व से हम हिन्दू है हिन्दुस्थान हमारा है .
और महा कल बन कर हम दुश्मन से तकरयेगे जहा बनी थी बाबरी मस्जिदे अपना मंदिर वही बनायेगे ,
और काशी मथुरा वृन्दावन ने एक साथ हुंकारा है गर्व से कहो हम हिन्दू है हिन्दुस्थान हमारा है .
हर हर हर महादेव की शिव सेना अब निकल पद्ये सर पर कफ़न बांध कर देखो बजरंगी की फ़ौज चली
गली गली माँ भवानी का गूज जय करा है गर्व से कहो हम हिन्दू है हिन्दुस्थान हमारा है .
हम करें राष्ट आराधना
तन से मन से धन से
तन मन धन जीवनसे
हम करें राष्ट आराधना………………।।…धृ
अन्तर से मुख से कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से
श्रध्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट अभिवादन…………………। १
अपने हंसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट का अर्चन……………………।२
अपने अतीत को पढकर
अपना ईतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकर
हम करें राष्ट का चिंतन…।………………।३
है याद हमें युग युग की जलती अनेक घटनायें
जो मां के सेवा पथ पर आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था जननी का अरिशोणित से
हमने शृंगार किया था माता का अरिमुंडो से
हमने ही ऊसे दिया था सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
मां जिस पर बैठी सुख से करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर हम करें पुन: संस्थापन………………।४
हिन्दु जगे तो विश्व जगेगा मानव का विश्वास जगेगा
भेद भावना तमस ह्टेगा समरसता अमर्त बरसेगा
हिन्दु जगेगा विश्व जगेगा
हिन्दु सदा से विश्व बन्धु है जड चेतन अपना माना है
मानव पशु तरु गीरी सरीता में एक ब्रम्ह को पहचाना है
जो चाहे जिस पथ से आये साधक केन्द्र बिंदु पहुचेगा ॥१॥
इसी सत्य को विविध पक्ष से वेदों में हमने गाया था
निकट बिठा कर इसी तत्व को उपनिषदो में समझाया था
मन्दिर मथ गुरुद्वारे जाकर यही ज्ञान सत्संग मिलेगा ॥२॥
हिन्दु धर्म वह सिंधु अटल है जिसमें सब धारा मिलती है
धर्म अर्थ ओर काम मोक्ष की किरणे लहर लहर खिलती है
इसी पुर्ण में पुर्ण जगत का जीवन मधु संपुर्ण फलेगा
इस पावन हिन्दुत्व सुधा की रक्षा प्राणों से करनी है
जग को आर्यशील की शिक्षा निज जीवन से सिखलानी है
द्वेष त्वेष भय सभी हटाने पान्चजन्य फिर से गूंजेगा ॥३॥
अन्ना हजारे को इस कुचक्र में फंसने से बचना चाहिए
